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भारत को 11 लाख शिक्षकों की जरूरत है, एक लाख से अधिक स्कूलों को चला रहे हैं सिर्फ एक टीचर

यूनेस्को (UNESCO ) ने हाल ही में भारत के एजुकेशन सिस्टम पर एक रिपोर्ट जारी की है. यूनेस्को की '2021 स्टेट ऑफ द एजुकेशन रिपोर्ट फॉर इंडिया: नो टीचर्स, नो क्लास' के अनुसार, भारत में करीब 1.1 लाख स्कूल सिर्फ एक टीचर के भरोसे चल रहे हैं, जबकि करीब 11 लाख पद खाली हैं. जानिए क्या है स्कूलों में गुरुजी की स्थिति, पढ़ें रिपोर्ट

No teacher, no class: state of the education report for India, 2021
No teacher, no class: state of the education report for India, 2021
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Published : Oct 7, 2021, 4:25 PM IST

हैदराबाद : यूनेस्को की रिपोर्ट में भारत के स्कूलों की हालत सामने आ गई. रिपोर्ट में यह सामने आया कि ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में शिक्षकों की जरूरत है. देश के एक लाख से अधिक स्कूलों में सिर्फ एक टीचर हैं. राइट टु एजुकेशन के पैरामीटर के अनुसार एक स्कूल में कम से कम 6 फुल टाइम टीचर होने चाहिए. दूसरी ओर देश के स्कूलों में कुल 19 फीसदी यानी 11.16 लाख शिक्षकों के पद रिक्त हैं. ग्रामीण इलाकों के 69 प्रतिशत स्कूलों में शिक्षकों की कमी है. अगर शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई तो स्कूलों के हालात और खराब हो जाएंगे, क्योंकि अभी पढ़ा रहे करीब 5 फीसदी टीचर अगले 5 साल में रिटायर हो जाएंगे.

अभी 26 छात्रों पर एक शिक्षक का औसत : 2018-19 के अनुसार, भारत में सरकारी, प्राइवेट, गवर्नमेंट एडेड, मदरसा और गैर मान्यता प्राप्त मिलाकर15 लाख 51 हजार स्कूल हैं, जिनमें 24 करोड़ 83 लाख 38 हजार 582 स्टूडेंट पढ़ते हैं. इन्हें पढ़ाने के लिए स्कूलों में कुल 94 लाख 30 हजार 839 टीचर हैं . देश के 67 प्रतिशत स्कूल सरकारी हैं, जिनमें देश के 49 फीसद यानी 12 करोड़ 25 लाख 83 हजार 743 बच्चे पढ़ते हैं. सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले टीचर्स की संख्या 47 लाख 44 हजार 570 है.

No teacher, no class: state of the education report for India, 2021
भारत के स्कूलों में टीचर स्टूडेंट रेश्यो मानक के हिसाब से नहीं हैं

अभी 26 छात्रों पर एक शिक्षक का औसत : यूनेस्को (UNESCO) की रिपोर्ट के अनुसार, देश के प्राथमिक स्कूलों में औसतन 73 छात्र पढ़ते हैं. ग्रामीण इलाकों में स्टूडेंटस की संख्या 64 है. इसी तरह क्लास एक से क्लास 8 तक पढ़ाने वाले स्कूलों में औसतन 172 बच्चे पढ़ते हैं. राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षकों और छात्रों की संख्या के हिसाब-किताब के बाद यह निष्कर्ष आया है कि यानी औसतन 26 छात्रों के लिए एक शिक्षक मौजूद हैं. जबकि नियम के अनुसार बेहतर शिक्षा के लिए 15 स्टूडेंट्स के लिए एक शिक्षक होना चाहिए.

यूपी-एमपी और राजस्थान में सबसे ज्यादा सिंगल टीचर : 2021 स्टेट ऑफ द एजुकेशन रिपोर्ट फॉर इंडिया के अनुसार, मध्यप्रदेश में सबसे अधिक 21077 सिंगल टीचर स्कूल हैं. इसके बाद उत्तर प्रदेश का नंबर है, जहां 17,683 स्कूल एक मास्टर साहब के सहारे चल रहे हैं. सिंगल टीचर स्कूल के मामले में राजस्थान तीसरे पायदान पर है, जहां 10,674 स्कूलों में एक ही 'गुरुजी' हैं. आंध्रप्रदेश में 9160 और तेलंगाना में 6,678 स्कूलों में सिर्फ एक टीचर हैं. बिहार में 3700 और महाराष्ट्र में 3499 स्कूलों का भी यही हाल है. छत्तीसगढ़ के 4,205 स्कूलों भी एक शिक्षक ही तैनात हैं.

No teacher, no class: state of the education report for India, 2021
photo courtesy : UNICEF

बिहार, बंगाल और यूपी में सबसे अधिक वेकेंसी :

अब वैकेंसी की बात. ग्रामीण इलाकों में स्कूलों को शिक्षकों की जरूरत है. देश में स्कूलों में जो 11.16 लाख पद रिक्त हैं, उनमें से 69 फीसद ग्रामीण क्षेत्रों में हैं. उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 3.3 लाख टीचर्स की जरूरत है. यूपी में खाली पदों में से 80 फीसदी ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में हैं. बिहार के 2.2 लाख रिक्त पदों में 89 फीसदी गांवों में हैं. पश्चिम बंगाल में1.1 लाख पद खाली हैं. पश्चिम बंगाल के लिए यह आंकड़ा 69 पर्सेंट है. झारखंड में 59, 896, महाराष्ट्र में 74,445 और मध्यप्रदेश में 87,630 टीचर के पोस्ट वैकेंट हैं. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दिल्ली में भी शिक्षकों के 22 पर्सेट पोस्ट खाली हैं, वहां 3,801 टीचरों की जरूरत है.

देश के लगभग 69 प्रतिशत स्कूलों के कर्ता-धर्ता विभिन्न राज्य सरकार हैं. देश के 51 प्रतिशत शिक्षक ही सरकारी नौकरी करते हैं. देश के 22 प्रतिशत स्कूल 37 पर्सेंट शिक्षकों को रोजगार देते हैं. मगर चिंता का विषय यह है कि अभी प्री-प्राइमरी के 7.7 पर्सेंट, प्राइमरी के 4.6 और अपर-प्राइमरी 3.3 पर्सेंट टीचर अंडर क्वॉलिफाइड हैं. यानी ये शिक्षक योग्यता की कसौटी पर खरे नहीं उतरते हैं.

No teacher, no class: state of the education report for India, 2021
photo courtesy : UNICEF

बिहार, झारखंड, राजस्थान में कम हैं महिला शिक्षक : भारत के 9.43 लाख स्कूली शिक्षकों में से आधी या 50 फीसद महिलाएं हैं. दिल्ली, चंडीगढ़, केरल, पंजाब और तमिलनाडु में 70 प्रतिशत से अधिक शिक्षक महिलाएं हैं. पुडुचेरी में महिला शिक्षकों का अनुपात 78 प्रतिशत और गोवा में 80 प्रतिशत हैं. असम, बिहार, झारखंड, राजस्थान और त्रिपुरा में महिला शिक्षकों का अनुपात 40 प्रतिशत या उससे कम है. 67 प्रतिशत महिला शिक्षक शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में पढ़ा रही हैं. शहरी क्षेत्रों के प्राइमरी स्कूलों में 63 पर्सेंट टीचर महिला हैं. गैर सहायता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों में 73 फीसदी शिक्षक महिला हैं.

रिपोर्ट का सारांश यही है कि

  • भारत में टीचरों की बड़ी वैकेंसी है. सरकार अगर इसे पूरा करती है तो लाखों लोगों को रोजगार मिल जाएगा
  • ग्रामीण क्षेत्रों में टीचरों को नियुक्त करना जरूरी है. अभी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में असमानता लगातार बढ़ रही है
  • स्पेशल एजुकेशन, म्यूजिक, आर्ट्स और फिजिकल एजुकेशन टीचर्स की नियुक्ति के बारे में प्राइवेट और सरकारी स्कूलों को विचार करना चाहिए
  • ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में भी महिला शिक्षकों को तैनात करना जरूरी है.

हैदराबाद : यूनेस्को की रिपोर्ट में भारत के स्कूलों की हालत सामने आ गई. रिपोर्ट में यह सामने आया कि ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में शिक्षकों की जरूरत है. देश के एक लाख से अधिक स्कूलों में सिर्फ एक टीचर हैं. राइट टु एजुकेशन के पैरामीटर के अनुसार एक स्कूल में कम से कम 6 फुल टाइम टीचर होने चाहिए. दूसरी ओर देश के स्कूलों में कुल 19 फीसदी यानी 11.16 लाख शिक्षकों के पद रिक्त हैं. ग्रामीण इलाकों के 69 प्रतिशत स्कूलों में शिक्षकों की कमी है. अगर शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई तो स्कूलों के हालात और खराब हो जाएंगे, क्योंकि अभी पढ़ा रहे करीब 5 फीसदी टीचर अगले 5 साल में रिटायर हो जाएंगे.

अभी 26 छात्रों पर एक शिक्षक का औसत : 2018-19 के अनुसार, भारत में सरकारी, प्राइवेट, गवर्नमेंट एडेड, मदरसा और गैर मान्यता प्राप्त मिलाकर15 लाख 51 हजार स्कूल हैं, जिनमें 24 करोड़ 83 लाख 38 हजार 582 स्टूडेंट पढ़ते हैं. इन्हें पढ़ाने के लिए स्कूलों में कुल 94 लाख 30 हजार 839 टीचर हैं . देश के 67 प्रतिशत स्कूल सरकारी हैं, जिनमें देश के 49 फीसद यानी 12 करोड़ 25 लाख 83 हजार 743 बच्चे पढ़ते हैं. सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले टीचर्स की संख्या 47 लाख 44 हजार 570 है.

No teacher, no class: state of the education report for India, 2021
भारत के स्कूलों में टीचर स्टूडेंट रेश्यो मानक के हिसाब से नहीं हैं

अभी 26 छात्रों पर एक शिक्षक का औसत : यूनेस्को (UNESCO) की रिपोर्ट के अनुसार, देश के प्राथमिक स्कूलों में औसतन 73 छात्र पढ़ते हैं. ग्रामीण इलाकों में स्टूडेंटस की संख्या 64 है. इसी तरह क्लास एक से क्लास 8 तक पढ़ाने वाले स्कूलों में औसतन 172 बच्चे पढ़ते हैं. राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षकों और छात्रों की संख्या के हिसाब-किताब के बाद यह निष्कर्ष आया है कि यानी औसतन 26 छात्रों के लिए एक शिक्षक मौजूद हैं. जबकि नियम के अनुसार बेहतर शिक्षा के लिए 15 स्टूडेंट्स के लिए एक शिक्षक होना चाहिए.

यूपी-एमपी और राजस्थान में सबसे ज्यादा सिंगल टीचर : 2021 स्टेट ऑफ द एजुकेशन रिपोर्ट फॉर इंडिया के अनुसार, मध्यप्रदेश में सबसे अधिक 21077 सिंगल टीचर स्कूल हैं. इसके बाद उत्तर प्रदेश का नंबर है, जहां 17,683 स्कूल एक मास्टर साहब के सहारे चल रहे हैं. सिंगल टीचर स्कूल के मामले में राजस्थान तीसरे पायदान पर है, जहां 10,674 स्कूलों में एक ही 'गुरुजी' हैं. आंध्रप्रदेश में 9160 और तेलंगाना में 6,678 स्कूलों में सिर्फ एक टीचर हैं. बिहार में 3700 और महाराष्ट्र में 3499 स्कूलों का भी यही हाल है. छत्तीसगढ़ के 4,205 स्कूलों भी एक शिक्षक ही तैनात हैं.

No teacher, no class: state of the education report for India, 2021
photo courtesy : UNICEF

बिहार, बंगाल और यूपी में सबसे अधिक वेकेंसी :

अब वैकेंसी की बात. ग्रामीण इलाकों में स्कूलों को शिक्षकों की जरूरत है. देश में स्कूलों में जो 11.16 लाख पद रिक्त हैं, उनमें से 69 फीसद ग्रामीण क्षेत्रों में हैं. उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 3.3 लाख टीचर्स की जरूरत है. यूपी में खाली पदों में से 80 फीसदी ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में हैं. बिहार के 2.2 लाख रिक्त पदों में 89 फीसदी गांवों में हैं. पश्चिम बंगाल में1.1 लाख पद खाली हैं. पश्चिम बंगाल के लिए यह आंकड़ा 69 पर्सेंट है. झारखंड में 59, 896, महाराष्ट्र में 74,445 और मध्यप्रदेश में 87,630 टीचर के पोस्ट वैकेंट हैं. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दिल्ली में भी शिक्षकों के 22 पर्सेट पोस्ट खाली हैं, वहां 3,801 टीचरों की जरूरत है.

देश के लगभग 69 प्रतिशत स्कूलों के कर्ता-धर्ता विभिन्न राज्य सरकार हैं. देश के 51 प्रतिशत शिक्षक ही सरकारी नौकरी करते हैं. देश के 22 प्रतिशत स्कूल 37 पर्सेंट शिक्षकों को रोजगार देते हैं. मगर चिंता का विषय यह है कि अभी प्री-प्राइमरी के 7.7 पर्सेंट, प्राइमरी के 4.6 और अपर-प्राइमरी 3.3 पर्सेंट टीचर अंडर क्वॉलिफाइड हैं. यानी ये शिक्षक योग्यता की कसौटी पर खरे नहीं उतरते हैं.

No teacher, no class: state of the education report for India, 2021
photo courtesy : UNICEF

बिहार, झारखंड, राजस्थान में कम हैं महिला शिक्षक : भारत के 9.43 लाख स्कूली शिक्षकों में से आधी या 50 फीसद महिलाएं हैं. दिल्ली, चंडीगढ़, केरल, पंजाब और तमिलनाडु में 70 प्रतिशत से अधिक शिक्षक महिलाएं हैं. पुडुचेरी में महिला शिक्षकों का अनुपात 78 प्रतिशत और गोवा में 80 प्रतिशत हैं. असम, बिहार, झारखंड, राजस्थान और त्रिपुरा में महिला शिक्षकों का अनुपात 40 प्रतिशत या उससे कम है. 67 प्रतिशत महिला शिक्षक शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में पढ़ा रही हैं. शहरी क्षेत्रों के प्राइमरी स्कूलों में 63 पर्सेंट टीचर महिला हैं. गैर सहायता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों में 73 फीसदी शिक्षक महिला हैं.

रिपोर्ट का सारांश यही है कि

  • भारत में टीचरों की बड़ी वैकेंसी है. सरकार अगर इसे पूरा करती है तो लाखों लोगों को रोजगार मिल जाएगा
  • ग्रामीण क्षेत्रों में टीचरों को नियुक्त करना जरूरी है. अभी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में असमानता लगातार बढ़ रही है
  • स्पेशल एजुकेशन, म्यूजिक, आर्ट्स और फिजिकल एजुकेशन टीचर्स की नियुक्ति के बारे में प्राइवेट और सरकारी स्कूलों को विचार करना चाहिए
  • ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में भी महिला शिक्षकों को तैनात करना जरूरी है.
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